Wednesday, February 15, 2023

यह कहानी निर्णय लेने की क्षमता को विस्तृत करती है।

  #कहानी#

बहुत थकावट हो जाने के कारण शरीर अब जवाब देने लगा था।पिछले 3 दिन से रेत में भटकते हुए रवि को दूर दूर तक कुछ भी नजर नहीं आ रहा था, ना कोई जीव ना कोई पेड़ पौधा अब तो केवल यह लग रहा था कि प्राण निकल ही जाएंगे। रवि अपने साथियों से 3 दिन पहले बिछड़ गया था रास्ता भटक गया था । धूप की चमक और गर्मी धीरे-धीरे प्राणों को सुखा रही थी। रवि को अचानक से एक झोपड़ी दिखती है। पहले तो वह उसे मृगतृष्णा मान बैठता है परंतु करता क्या उसे रेत में कुछ और दिख भी नहीं रहा था जिस पर विश्वास करता। वह झोपड़ी की तरफ तेज कदमों से चल पड़ता है। पास जाकर देखता है कि वहां नल्का भी था। उसे अंदरूनी खुशी महसूस हुई, परंतु नलके की हालत देख कर के निराश भी हुआ लग रहा था कि पिछले कई सालों से शायद इस नल्के को किसी ने छुआ भी नहीं था। परंतु जैसे ही वह नल्के की हत्थी को पकड़ने के लिए नीचे झुकता है तो उसकी नजर एक नीचे पड़े कागज पर पड़ती है जो कि किसी चीज के साथ बंधा हुआ था। उसने उस कागज को उठाया तो उस पर लिखा था कि झोपड़ी के अंदर जाओ और छत से बोतल निकालकर बोतल के पानी को नल्के में डालकर भरपूर पानी पी लेना और बोतल को वापस भरकर वही रख देना किसी और के काम आएगी। इस कागज पर जो संदेश लिखा था उसको पढ़कर रवि कशमकश में पड़ गया कि वह पानी को स्वयं पी ले या फिर नल्के में डालकर जैसा उस कागज में लिखा था कि भरपूर पानी ले ले। अब उसके दिमाग में द्वंद  खड़ा हो गया। क्योंकि कई दिन से प्यास के कारण प्राण भी सूखते जा रहे थे। मन कभी करता के पानी पी ले कभी करता की नल्के में डालो। कभी सोचता कि नल्के  का क्या भरोसा कि ये चले या ना चले। जो बोतल में पानी है कहीं वह भी बेकार ना चला जाए। कभी सोचता कि अगर नलका चल जाएगा तो वह पानी पी भी लेगा और उस बोतल को दोबारा भर भी देगा। तभी अचानक ही उसके अंदर से आवाज आती है कि  पानी की बोतल नल्के में उड़ेल कर उसे दोबारा भरकर रखने वाला निर्णय ज्यादा ठीक है, तो उसने बिना समय गवाएं पानी की बोतल में से पानी नल्के में डाल दिया और उसकी  हत्थी को पकड़कर जोर जोर से चलाने लगा।। कुछ देर तक नल्के से पानी नहीं आया उसे लगने लगा कि शायद उसने गलत निर्णय ले लिया है, परंतु वह हत्थी को चलाता गया। थोड़ी देर बाद कुछ बूंदे पाने की नल्के से गिरी तो उसकी उम्मीद बंधी उसने हत्थी को और तेजी से चलाना शुरू किया तो नल्के के पाइप से पानी पूरा भर के बाहर आने लगा। उसकी खुशी का ठिकाना नहीं था थोड़ी देर चलाने के बाद पानी साफ हो गया और उसने भरपूर पानी पिया अच्छे से पानी पीकर, नहा भी लिया। तृप्त होकर उसने उस बोतल को दोबारा भरके उसी छत में जहां से उसने उस बोतल को उठाया था रखने के लिए चल पड़ा। जैसी वह बोतल को रखने लगा तो वहां पर कागज और पेन भी देखता है। उसने बोतल को रखा और कागज निकालकर उस पेन से उसने उसमें एक बात लिखी कि "इस बोतल को विश्वास करके नल्के में डालो और भरपूर पानी पीकर इस बोतल को दोबारा रखना ना भूलना ताकि यह किसी भटके हुए राही के काम आए, जैसे आपके आया है। 


दोस्तों यह कहानि हमें विश्वास करना सिखाती है। यदि वह राही उस लिखे हुए पर विश्वास ना करता तो शायद वह भरपूर पानी प्राप्त नहीं कर सकता था। दूसरी बात इस कहानी में निर्णय लेने की क्षमता की  कि वह बोतल का पानी नल्के में डालकर पिए या फिर बोतल से सीधा पानी पिए । यह निर्णय भी उसका एक टर्निंग प्वाइंट था। दोस्तों जीवन में बहुत  जगह कई समय पर ऐसा होता है कि हम दोराहे पर खड़े हो जाते हैं कि अब क्या किया जाए? यह किया जाए या वह किया जाए? तो तुरंत अपने अंतरात्मा की आवाज को ही सुनना चाहिए, जब इस प्रकार से निर्णय लिया जाएगा वह सबके लिए कल्याण कारक होता है। दोस्तों एसी ही प्रेरक कहानियों के लिए हमारे से जुड़े रहें। कहानी अच्छी लगे तो शेयर जरूर करें 🙏

🖊️एम सी योगी 9354 666 466, 9416244447

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