Sunday, February 19, 2023

मांसाहार क्यों न करें?! Beaf eating

 मांस क्यों नहीं खाना चाहिए।   सृष्टि में सभी जीवो को 2 वर्गों में बांटा गया है एक मांसाहारी दूसरा शाकाहारी । मांसाहारी प्राणी को प्रकृति की तरफ से सहयोगी साधन दिए गए जैसे नाखून, नुकीले दांत रात को देख लेने की क्षमता आदि और जो शाकाहारी है उनको भी इसी प्रकार से प्रकृति ने कुछ साधन दिए हैं। मांसाहार और शाकाहार में एक महत्वपूर्ण अंतर रखा गया वह है पानी को पीने की प्रक्रिया जो जीव घूंट कर पानी पीता है वह शाकाहार में रखा गया और जो जीव चाट कर पानी पीता है उसे मांसाहार की श्रेणी में रखा गया। जितने भी जीव हमारे आसपास हैं जब हम उनको इन दोनों श्रेणियों के अंतर्गत वर्गीकृत करते हैं तो हम अपने को अर्थात मनुष्य को कहां पाते हैं?! सीधी सी बात है मनुष्य शाकाहार की श्रेणी में आता है। क्योंकि मनुष्य घूंटकर पानी पीता है परंतु इस मनुष्य ने खुद को मांसाहारी beaf eater बना लिया है केवल स्वाद के लिए मांस का सेवन करने लगा है । मांसाहारी जीवो के पेट में वह सभी अम्ल व क्षार स्रावित होते हैं जो उसके शरीर में मांस को हजम करने में सहायक होते हैं। परंतु मनुष्य के शरीर में एक भी ऐसा पदार्थ स्रावित नहीं होता जो मांस को हजम कर पाए। जो मांस मनुष्य खाता है वह केवल सडकर बाहर निकल जाता है। उसका जो रस है वह शरीर ठीक से पचा नहीं पाता जिस कारण अनेकों रोग मनुष्य के शरीर में लग जाते हैं। सबसे बड़ा नुकसान मनुष्य को बुद्धि का होता है । मांस के सेवन से बुद्धि तामस से भर जाती है परिणाम स्वरूप इस प्रकार का व्यक्ति झगड़ालू ,अत्यधिक गुस्सैल और ऐसी प्रवृत्ति का हो जाता है कि वह दूसरे को मारते हुए एक क्षण के लिए भी नहीं सोचता। थोड़ा सा वर्तमान की स्थितियों में अपने जो युवा आजकल पार्टियां करते हैं मांसाहार करते हैं वही युवा लगभग अपराधों में सम्मिलित पाए जाते हैं चाहे वह अपराध मारपीट का हो चाहे वह दुष्कर्म व हत्या जैसा जघन्य अपराध हो यदि हमें समाज में इन चीजों को रोकना है तो मांसाहार को रोकना होगा क्योंकि मांसाहार के साथ-साथ नशा भी किया जाता है इन दोनों के मिश्रण से ही बड़े से बड़े अपराध होते हैं परंतु वर्तमान की सरकारों या प्रशासन का इन बातों की तरफ कोई ध्यान नहीं है। इन पर कोई रोक लगाने की योजना इनकी नहीं है क्योंकि इनके पास ऐसी शिक्षा भी नहीं है जो वह युवाओं को समझा सके कि यह काम करना है और यह नहीं करना है । प्रशासन नियम बनाकर पालन करने के लिए छोड़ देता है चाहे पब्लिक रोए, मरे जैसे मर्जी करे उसको उस नियम का पालन करना ही है । यह वास्तव में स्वतंत्रता नहीं है । हमें प्रकृति की दी गई अपनी श्रेणी को समझना होगा शाकाहार को अपनाकर अपने और अपने बच्चों को सात्विक प्रवृत्ति का बनाते हुए समाज को भी सात्विक बनाना रहेगा अन्यथा चारों तरफ तामसिक लोगों का दबदबा बढ़ता रहेगा और यह समाज के लिए अत्यंत घातक सिद्ध होगा।

एम सी योगी 9354666466




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