Tuesday, September 5, 2023

अपना सम्मान अपने हाथ में है

 एक गधे ने एक शेर को चुनौती दी कि मुझसे लड़ कर दिखा दो जंगल वाले तुझे राजा मान लेंगे, लेकिन शेर ने गधे की इस बात को अनसुना कर दिया और चुपचाप वहां से निकल लिया।

एक लोमड़ी ने छुप कर ये सब देखा और सुना लिया। उससे रहा नहीं गया और वो

शेर के पास जा कर बोली कि क्या बात है ? 

उस गधे ने आपको चुनौती दी फिर

भी उस से लड़े क्यों नहीं ? और ऐसे बिना कुछ बोले चुपचाप जा रहे हो ?

शेर ने गंभीर स्वर में उत्तर दिया कि  मैं शेर हूं। जंगल का राजा हूं और रहूंगा। सभी जानवर इस सत्य से परिचित हैं और आप भी। 

मुझे इस सत्य को किसी को सिद्ध करके नहीं दिखाना है | गधा तो गधा  है और हमेशा गधा ही रहेगा। गधे की चुनौती स्वीकार करने का मतलब मैं उसके बराबर हो गया हूं। मेरे लिए गधे की बात

का उत्तर देना भी अपनी इज्जत कम करना है।  क्योंकि उसके स्तर की बात का उत्तर देने के लिए मुझे उसके नीचे स्तर तक उतरना पड़ेगा। मेरे उसके लिए नीचे

के स्तर पर उतरने से उसका घमंड़ बढ़ेगा। मैं यदि उसके सामने एक बार दहाड़ दूं तो उसकी लीद निकल जाएगी और वो बेहोश हो जाएगा। अगर मैं एक पंजा

मार दूं तो उसकी गर्दन टूट जाएगी और वो मर जाएगा। गधे से लड़ने से मैं निश्चित रूप से जीत जाऊंगा, लेकिन उस से मेरी

इज्जत नहीं बढ़ेगी, बल्कि जंगल के सभी जानवर बोलने लगेंगे कि शेर एक गधे से लड़ कर जीत गया।  एक तरह से यह मेरी बेइज्जती ही हुई।  इन्हीं कारणों से

मैं उस आत्महत्या के विचार से मुझे चुनौती देने वाले गधे को अनसुना कर के दूर जा रहा हूं ताकि वो जिंदा रह सके।

लोमड़ी को बहुत चालाक और मक्कार जानवर माना जाता है, लेकिन वो भी शेर की इन्सानियत वाली विद्वत्तापूर्ण बातें सुन कर उसके प्रति श्रद्धा से

भर गई। यह बोधकथा समझनी इसलिए जरूरी है कि जिन्दगी में आए दिन गधों से वास्ता पड़ता रहता है। उनसे कन्नी काट कर निकल लेने में भलाई होती है। 

शेर हमेशा ही गधों से लड़ने से कतराते आए हैं।

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